Monday, May 29, 2006

आरक्षणक समर्थन मे खट्टर काका'क बेबाक साक्षात्कार

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गामक चौक पर दुपहरिया'क ३ बजे हमरा (लेखक केँ) आबैत देखि खट्टर काका बजलाह: की हौ एतेक रौद मे कतय सँ आबि रहल छह:, गाछ तर मे आबि हम खट्टर काका सँ कहलिअन्हि बाप रे बाप रैली मे बाजार गेल छलहुँ.

खट्टर काका: कोन तरहक रैली छलैक ?

अरे अहाँ के बुझल नहि अछि की? हम (लेखक) पुछलिअन्हि. हम आरक्षण विरोधी रैली मे गेल छलहुँ. बाप रे बाप मरिए टा नहि गेलहूँ आ सब कीछु भ' गेल,

से एहेन रैली मे जयबाक कोन काज ? खट्टर काका कटाक्ष करैत पुछलथिन्ह.

हम(लेखक): आब त काका जी अहाँक पार लगि गेल.... हमरो पार लागि गेल.... लेकिन हमर धिया पुता'क की हेतेक.... से कनियों सोचलिएक अछि.... एक तँ ओ सब अपने पढाई लिखाई कम क देन' अछि आ उपर सँ २७ प्रतिशत आरक्षण.... कहिओ ई छौडा सभ आई०आई०टी 'क मुँह नहि देखि सकत.... आ अपने पुछैत छी जे रैली मे जेबाक कोन काज.


खट्टर काका: सेऎह त कहैत छिह. आई पचास साल भ' गेल... ई आरक्षण सँ ककरा की भ' सकलैक.... अपने गामक डोम-चमार के देखि लैह.... पिछला ५० साल मे एकोटा मैट्रिक पास नहिँ क' सकल अछि.... हाँ अन्तर भेलेक अछि.... पहिने अपन गाम मे खेत मे मजदुरी करैत छल... आ आब गाम सँ ८० कोस दुर पँजाब मे मजदुरी करैत अछि.... तेँ आरक्षण सँ एकरा सब के किछो होमय वाला नहिँ अछि....


हम (लेखक): त ई हल्ला किएक भ' रहल छैक नेता सभक द्वारा.


खट्टर काका: ओ सब त, भोट बैंक'क चक्कर अछि. ई नेता सभ केँ यदि छोट जाति केँ उपर उठाएबाक अछि... त'.... आई०टी०आई० खोलबाक चाही.... जाहि मे एक्स्क्लुसिवली छोट जाति केँ ट्रैनिंग देबाक चाही जाहि सँ ओ सब पँजाब नहि जा क' अपन किछु रोजगार करैत.


हम (लेखक): तैओ ई ५० प्रतिशत सीट त छोटे लोकक रहत की नहिँ ?


खट्टर काका: हँ.. हँ... भेटतैक त छोटे लोक केँ लेकिन लालु'क बेटा केँ... आइ० ए० एह० 'क बेटा केँ, आ० पी० एस० 'क बेटा केँ..... अपन गाम 'क भोलबा चमारक धिआ पुता जुते सीबैत रहि जेतेक....


हम (लेखक): तँ ओहि सँ अपना सभ केँ की फ़ायदा हेतैक ??


खट्टर काका: एकटा बात बताबह: हमरा .. तोरा लोकनि आरक्षणक विरोधी किएक छह: ?


हम ( लेखक): दु टा कारण सँ...., पहिल बात जे हमरा धिआ पुता केँ नीक शिक्षा आ नीक नौकरी नहि भेटतैक: आ दोसर बात जे गाम घर मे नौकर चाकरक आभाव भ' जेतैक.


खट्टर काका: धौड बुरबक नहितन.... तोहर प्रश्नक दु भाग मे उत्तर देबाक चाही.
पहिल प्रश्नक उत्तर:- की तोरा लग डाटा छह की आई०आई०टी० आ दोसर कालेज मे ककर नौकरी बढिआ लागैत छैक. आई०आई०टी मे किछु कम्पुटर साईंस'क विद्यार्थी केँ इन्फ़ोसीस आ टी०सी०एस० मे नौकरी लागैत छैक.... आ कोनो दक्षिण भारतक कालेज'क किछु विद्यार्थी केँ मोटोरोला.... आ सीमेंस... मे नौकरी लागैत छैक. आई०आई०टी'क हरेक विद्यार्थी त बढियाँ होइईत नहि छैक... मानि लैह तोहर धिआ पुता केँ आई० आई० टी० मे आरक्षणक कारणेँ नहि भेलह. यदि हुनका लग मे टैलेण्ट रहतैक त दोसर कालेज मे भ ` जेतैक. आ अन्ततोगत्वा तोरे धिआ पुताक केँ नीक नौकरी भेटतह. आ बचलैक सरकारी नौकरी मे त आब सरकारी नौकरी तकैत के छैक. चाहे त राड मुसहर वा कोनो निकम्मा..... वस्तुत: सरकारी नौकरी कर' वाला बीमार मानसिकता 'क वाला कोनो व्यक्ति होयत छैक.... त चिन्ता किऐक करैत छहः
आ दोसर प्रश्नक उत्तर: हम त पहिने तोरा कहलिअ, जे बैकवार्ड क्लास मे किछु पैघ लोक उपर मे बैसल छथि. जँ आरक्षणक बात हेतैक त पहिने ओ महानुभाव'क धिआ पुता केँ नौकरी भेट्तैक वा अपन गाम'क भोलबा चमारक धिआ पुता केँ भेटतैक. भोलबा'क धिआ-पुता त जुते सितैक आ महींसे चरेतैक. तँ बात स्पष्ट छैक नहि त तोहर धिआ पुता केँ नौकरी तकबा मे कोनो तकलीफ़ आ नहि तोरा नौकर चाकर ताक' मे.



हम (लेखक): मुदा खट्टर कका जी!!! ई त अहाँ महात्मा गाँधी जी'क सबटा फ़िलोसोफ़ी केँ उल्टा साबित क' देलिऐक;


खट्टर काका: तेँ तोरा हम बुरबके कहे छिअ'क की.... गाँधी जी'क फ़िलोसोफ़ी'क एकटा समय छल.... जँ लागु होईत छल.... आब ओ अप्रासंगिक बनि गेल अछि....
ओ जमाना छल नेहरु जीक, राजेन्द्र प्रसादक...., लाल बहादुर शस्त्रीक... जतय अपन वचन केँ पुरा करबाक लेल ओ लोकनि किछो कर लेल तैयार रहैत छलथिन्ह....
आबक जमाना छैक.. सोनिआ गाँधी'क...., लालु यादव'क...., मुलायम सिँहक..., आ राबडी देवीक.... जमाना बदलल.... लोक बदलि गेल.... एकटा बात बताबह नहि... आई कल्हि आफ़िस मे एकटा चमार आफ़िसर यदि एकटा ब्राह्मण चपरासीक शोषण करैत छैक त गाँधी जी'क कोन फ़िलोसोफ़ी ओकरा एना करबा सँ रोकैत छैक.... गाँधी जी मरलाह तैँ हुनकर फ़िलोसोफ़ी सेहो मरि गेल....

तेँ खुशी मनाबह.. यदी सरकार कतो छोट जाति केँ सचमुचे एजुकेट कर'क ठानि लेत त नहि तो तोरा धिया पुताकेँ नौकरीए भेटतह आ नहिए तोरो नौकर चाकर. तेँ अर्जुन सिँह जिन्दा-बाद अर्जुन सिँह जिन्दाबाद.


हम (लेखक): जी काका जी हम धन्य भेलहुँ.... आई सँ हमहुँ आरक्षणक समर्थक भ' गेलहुँ. किएक त हमरा धिआ पुता केँ नहि ते नौकरीए मे दिक्कत होयत आ नहिँ त नौकरे-चाकरे तकबा मे.... आब हमहुँ सीखि लैत छी अर्जुन सिँह जिन्दा-बाद.... अर्जुन सिँह जिन्दाबाद....



एकटा बात बताबह नहि.. आई कल्हि आफ़िस मे एकटा चमार आफ़िसर यदि एकटा ब्राह्मण चपरासीक शोषण करैत छैक त गाँधी जी'क कोन फ़िलोसोफ़ी ओकरा एना करबा
सँ रोकैत छैक. गाँधी जी मरलाह तैँ हुनकर फ़िलोसोफ़ी सेहो मरि गेल. तेँ खुशी मनाबह..